संदेश

करोना मुक्त भारत🙏⚘

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Thank you so much all medical staffs 🙏⚘ एक रिश्ता और भी है खुद से खुद के लिए।। मिलना जुलना तो होता रहेगा थोड़ी दूरी रखें जीने के लिए।। सब कुछ भूलकर डाॅक्टर तैनात है लड़ने के लिए।। थाली-ताली तो सब ठीक है घर पर रहो थैंक्यू कहने के लिए।। यहाँ अपना-पराया कोई नहीं तैयार है करोना फैलने के लिए।। संकल्प है सरकार के साथ हैं करोना को मिटाने के लिए।। कमजोर ना होंगे डटे रहेंगे स्वस्थ आज और कल के लिए।। हाथ बार-बार धोते रहेंगे जगह ना मिले छुपने के लिए।। सब अपना-अपना ख्याल रखें करोना मुक्त भारत के लिए।। जय हिन्द जय भारत 🙏⚘

#करोना

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जहाँ इंसान अपनी जान बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं, वहीं पृथ्वी ने बिना एक पल गवाये चुप चाप अपने आप को स्वस्थ  (recover) कर लिया। प्रकृति अपने आप को स्वयं ही  स्वस्थ कर लेती है, यही प्रकृति का नियम है हम इंसानों को प्रकृति के इस नियम से सिखना चाहिए। हमें कुछ देर के लिए, या कभी कभी सब कुछ छोड़ कर प्रकृति के साथ बैठना चाहिए और उससे सिखना चाहिए कि बिना शोरगुल किये अपना काम कैसे किया जाता है।  #एक छोटा सा विषाणु धरती के गर्भ से बाहर निकला है  तो पूरे मानव सभ्यता खतरे में आ गयी है। धरती ने न जाने ऐसे ही कितने प्रकार के, इससे भी खतरनाक विषाणु अपने अंदर छिपाये है।🍁

दिल मेरी सुनता ही नहीं!

तुझ बिन अधूरी है ख्वाहिशें तुमसे मिलने कि है साजिशें  अब दिल मुझे मिलता ही नहीं कि दिल मेरी सुनता ही नहीं।। तेरा आने का वादा है तुझसे मिलने का इरादा है ये दिल तुझे भुलता ही नहीं कि दिल मेरी सुनता ही नहीं।। खो जाए तेरी यादों में ढुँढता है तुझको गलियों में ये दिल अब लौटता ही नही कि दिल मेरी सुनता ही नहीं।। सपने आंखों में सजाये कितने नगमे गुनगुनाये सहम कर कुछ कहता ही नहीं कि दिल मेरी सुनता ही नहीं।। कितनी सदियां यूं बीत गयी बरसों तेरी खबर न आयी ये दिल अब धड़कता ही नही कि दिल मेरी सुनता ही नहीं ।।

चालाक आदमी बोला

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आज मैंने चालाक आदमी को देखा अपनी बंद खिड़की के शीशे से, वह सड़क पर कभी इधर कभी उधर लड़खड़ाते चल रहा है। चारों ओर धुआँ और आग ही आग है. गली, मोहल्ले सब जल रहे हैं तभी मैंने अपनी बंद खिड़की से देखा, कि एक भीड़  सड़क के  ओर से दौड़ती आ रही है, नारे लगाते, हाथ में डंडे लिए. जो रास्ते में है सब जलाते, चालाक आदमी के पास पहुँचे, उन्होंने उससे नाम पुछा और नारे लगाने को कहा पर वह सबका चेहरा देखकर हंस रहा है, भीड़ ने उसे पागल कहा और वहाँ से चली गईं। तभी दूसरी ओर से एक और भीड़ आ गई है, उसने भी नाम पुछा और नारे लगाये , चालाक आदमी अभी भी उनके चेहरे देख कर हस रहा है। वो भी उसे छोड़ कर आगे बढ़ गए हैं। चालाक आदमी आगे बढ़ने लगा कि पुलिस आ गयी, पुलिस ने कहा ' अबे पागल है ! यहाँ बीच सड़क पर क्या कर रहा है। तूने शराब पी हुईं है, यहाँ मर वर जायेगा, जा घर जा- परिवार वाले परेशान होंगे, जा घर जा , चालाक आदमी ने पुलिस को रुकने का इशारा किया और जेब में हाथ डालकर कुछ दिखाने लगा। पुलिस ने कहा ' अबे ये राख है इसका हम क्या करें। हमेशा चुप रहने वाले 'चालाक आदमी, आज बोला .....  अब मैं, अपना प...

''मत जइयो रजो राजनीति की गर्मी में,,

अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविता / '' मनाली मत जइयो ,, से प्रेरित होकर लिखी गयी है। मत जइयो रजो राजनीति की गर्मी में। आवेंगें यमदूत ठिठुरती सर्दी में। सुनो सिया, बनवास से पहले, मिल आना लक्ष्मी जीजी से, फिर आवेंगे लूटेरे पंचवटी में। धरोगी पाँव जो देहरी पे, ले जाना सीख शूटर दादी से, ना आवेंगे रक्षक अंधेर नगरी में। मत जइयो रजो राजनीति की गर्मी में। आवेंगें यमदूत ठिठुरती सर्दी में। तुम चीखेगी, चिल्लाएगी, पर वो मुँह ना खोलेगी, खामोशी रहेगी शेरनी संसद में। बुलंद जो आवाज करोगी, देशद्रोही कहलाओगी, जला दी जाओगी लोकतंत्र में। मत जइयो रजो राजनीति की गर्मी में। आवेंगें यमदूत ठिठुरती सर्दी में। (लक्ष्मी जीजी-राजस्थान की रहने वाली) (शूटर दादी- उत्तरप्रदेश की रहने वाली) 

🇮🇳 सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा 🇮🇳

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जब भी किसी देश की तरफ देखती हूँ तो सुकून अपने देश को देख कर ही मिलता है, और जो खुशी यहाँ कि सभ्यता और संस्कृति को जानने में मिलती है वह कहीं और ना मिला, भारत जैसा देश कहीं और नहीं है यहाँ तक कि भारत का एक अंश भी कहीं नहीं पढ़ पाती हूँ। मैं किसी और देश तो नहीं गयी पर कभी-कभी गुगल के द्वारा जानने की कोशिश करती हूँ तो कुछ नया मिला ही नहीं। जब भारत को पढ़ने लगती हूँ, तो हर पन्ने में सबकुछ नया होता है। इसलिए माफ कीजिए भारत के सिवा कुछ और पढ़ ही नही पाती हूँ। भारत का इतिहास कितना गौरवशाली है। महान लोगों की गाथा, वीरों की कुर्बानी ये सब पढ़कर मन गगदद हो जाता है।देश के बारे में बताने लगी तो मेरा समय खत्म हो जायेगा पर देश की बातें नही।  🇮🇳 जय हिन्द जय भारत 💖  

मुद्दा राजनीति का

#देश जल रहा है राजघाट पर कोई रो रहा है  #देश की राजनीति, देश की जनता को कुछ सोचने ही नहीं दे रही है। जनता कुछ समझ पाये, इससे पहले एक नया मुद्दा छा जाता है। जनता यहाँ से वहाँ,  वहाँ से वहाँ बस भाग रही है। आज एक मुद्दे  पर आंदोलन करते हैं, तो दो दिन बाद दूसरे मुद्दे पर धरना चल रहा होता है, फिर दो दिन बाद तीसरे मोर्चे को पुलिस सम्भाल रही होती है। इन सब में देश की शान्ती, और जनता का समय, दोनों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।  ध्यान रहे, जब जनता थक जायेंगी और  पलटकर देखेगी, तो खुद को वहीं पर पायेगी, जहाँ से ये खेल शुरू हुआ था। बस कुछ साल बीत चुके होंगे। क्यों कि, अगर इन मुद्दों पर गौर करें तो  पाते हैं कि. ये नियम है जो लागू है। फिर इन बातों को इतना तूल क्यों दिया जा रहा है। इन सब से किसका भला होने वाला है। ये देश हमारा है हमारी जिम्मेदारी है कि हम इसको संभाल कर रखें। विरोध करना चाहिए, और होना भी चाहिए, सरकार पर दबाव भी बनाना चाहिये, पर हिंसा के लिए देश में कोई जगह नहीं है। हिंसा में हमारे अपने लोगों को, हमारे अपने देशवासियों को पीड़ा उठानी पड़ती है। तो यह दायित्...