लाल ना हरा रंग मोहे भाये प्रेम रंग मोहे रंग दे तु अपने ही रंग में साँवरिया, धोबिया धोये चाहे सारी उमरिया तू रंग जा!हाँ तू रंग जा पिया मोरि कोरी कोरी चुनरिया, कोरे-कोरे कलश में ...
वंसत को ऋतू राज माना जाता हैं इन दिनों मुख्य पाँच तत्व (जल, वायु, आकाश, अग्नि एवम धरती ) संतुलित अवस्था में होते हैं और इनका ऐसा व्यवहार प्रकृति को सुंदर एवम मन मोहक बनाता हैं अ...
सच-झूठ की दौड़ लगी है, भूतकाल और वर्तमान में खेल परियोगिता चली है, तराजू अपना संतुलन खो बैठा है, उपदेशों का बाजार सजा है, मायूसी फिर सरक कर गले लग रही है, विचारों में महायुद्ध ...
चलते चलते बहुत दूर आ गये तु मंजिल, हम राही बन गये, तेरे संग बिताये हर लम्हें मेरे गीत बन गये, तुम ख्वाब बनकर, मेरी जिंदगी बन गये, तुने जब भी मुड़कर देख...
''बदलते राजनीति से मेरी कलम भी मज़बूर हुईं।। ना चाहते हुए भी मेरे विचारों में शामिल हुई''।। राजनीति बदल रही है.. हर आँख में मटक रही है.. सपने सिंहासन के दिखा रही है। सच झुठ ...
त्रिवेणी, माधव, आलोक, शंकरी, श्री पढ़े हनुमान जी। मैं नागवस की नवग्रह मंदिर, प्रिय भूमि श्री राम की । मैं भजन हुंँ मंदिरों की, भक्तों की पूकार हुँँ। श्रिवेणी के तट पर शोभित, मै...