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नन्ही परी

नन्ही परी, गुड़ की डली, चाशनी तू प्यार की। रंगों भरी, नन्ही कली, खुशियां की बहार सी। चन्दा सा मुखड़ा, दिल का तू टुकड़ा। मेरे आंगन की, जन्नत का टुकड़ा। तेरी हंसी, मेरी खुशी,  बसंत की बयार सी। कोयल सी बोली, ख्वाबों की डोली। ममता की मूरत, सूरत की भोली। स्वाति की बूंद, गुनगुनी धूप, सावन की बौछार सी। नन्ही परी, गुड़ की डली, चाशनी तू प्यार की। रंगों भरी, नन्ही कली, खुशियां की बहार सी।

जिन्दगी के गीत गुनगुनाता चला गया!

जिन्दगी के गीत गुनगुनाता चला गया। हर रास्ते से हाथ मिलाता चला गया। जिन्दगी की कशमकश को नादानी में  हर फिक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया। मुश्किल हालात से, जीत और हार से हर खौफ से आँख मिलाता चला गया। कहीं नफरतें हैं तो कहीं बेरुखी है हर किसी से प्यार निभाता चला गया। ख़ुशी के झौंके है कहीं गम के साये  मुसाफिर हूं बस मुस्कुराता चला गया।

सपने

ख्वाब मेरे आसमां तक यूं घुमाते हैं मुझे। बादलों में बीजुरी जैसे छुपाते हैं मुझे। आसमां से आ गिरे फिर सीढ़ियां पकड़े हुए, एक तारे की कहानी फिर सुनाते हैं मुझे। रंग बागों से समेटे आ खड़े हैं द्वार पर, जिन्दगी के रंग बनकर फिर लुभाते हैं मुझे। हार में भी दीप जैसे जगमगाते हौंसले,  नित्य स्वप्न सुधा बनकर सदा जगाते हैं मुझे।

तिरंगा

दिल्ली में  दहाड़े  तिरंगा,  सरहद  पर  महाकाल है। वीरों की  सौगात  तिरंगा,  इंकलाब  की  मशाल है। सनसन करते  हूंकार भरे,   जब वीरों के कदम बढ़े दुश्मन के दिल  छन्नी करते,  हिन्दुस्तान का लाल है। धर्म-जाति की राजनीति से,  जो चले देश को तोलने मात्रभूमि पर  मिटने  वाला,   देशभक्ति रंग  लाल है। सत्य-अहिंसा और प्रेम का, अजब-गजब रखवाला है प्रत्यंचा   चढ़ा  गाण्डीव है,   प्रेम-पूरक  की  थाल  है। साजन के आँखों से गहरा, शीतल माँ के आँचल से वो लाल किले पर फहराता, रंगों का इंद्रजाल है।

हरियाली तीज

सावन में होके मगन चली रे! सखी, झूला झूलन चली रे! रिमझिम सावन में हरियाली तीज पूजन चली रे सखी, झूला झूलन चली रे! मेहंदी वाली हाथों में हरी-हरी चुड़ियां पहन चली रे सखी, झूला झूलन चली रे! हरी-हरी साड़ी में करके सोला श्रृंगार दुल्हन बनी रे सखी, झूला झूलन चली रे!

हमसफर

हमसफर मेरे हमसफर साथ तेरा यूँ ही उम्र भर।। तू आकाश नीला मैं चंचल सी हवा, तू बदरा पिया मैं प्यासी धरा। यूँ ही साथ रहें हम उम्र भर। हमसफर मेरे हमसफर।। तुम बाग का हर रंग मैं तितली बेरंग, मेरे सनम तेरे संग जीवन का हर रंग। इन्द्रधनुषी हो गई डगर। हमसफर मेरे हमसफर।। मैं ओश की बूूँद तुम सूर्य तारा, मैं जुगनू तुम अंधियारा, मैं जल की धारा तुम हो किनारा। बहती रहूँ यूँ ही बेखबर। हमसफर मेरे हमसफर।। साथ तेरा यूँ ही उम्र भर।।

दीप

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एक दीप रोशनी से भरा, दसों दिशाँ प्रकाशित करे। हर्ष और उल्लास से, नव जीवन प्रतिष्ठित करे। एक दीप उमंग से भरा, भक्ति में रंगा जो अंतर्मन तलक, निर्भय और जागृति करे। अंधकार में, आशा की किरणें उम्मीद और विश्वास की, शक्ति सदा प्रज्वलित करे। समय के  चक्र में, घटित घटनाओं में मानव के हृदय को, संताप में आनंदित करे। मेरा कोटी कोटी नमन उस दीप को उस वीर को जो जन कल्याण में अपना सर्व जीवन समर्पित करे। एक दीप रोशनी से भरा, दसों दिशाँ प्रकाशित करे। हर्ष और उल्लास से, नव जीवन प्रतिष्ठित करे।

विश्व पृथ्वी दिवस

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विश्व पृथ्वी दिवस    तेरी अम्मा, मेरी अम्मा, सबकी प्यारी-प्यारी अम्मा, कौन? धरती अम्मा! हम सबकी प्यारी अम्मा! सबकी प्यारी धरती अम्मा! सबको अन्न बराबर देती, शुद्ध हवा और पानी देती, सबको करती प्यार बराबर कौन? धरती अम्मा! हम सबकी प्यारी अम्मा! सबकी प्यारी धरती अम्मा!

दिल मेरी सुनता ही नहीं!

तुझ बिन अधूरी है ख्वाहिशें तुमसे मिलने कि है साजिशें  अब दिल मुझे मिलता ही नहीं कि दिल मेरी सुनता ही नहीं।। तेरा आने का वादा है तुझसे मिलने का इरादा है ये दिल तुझे भुलता ही नहीं कि दिल मेरी सुनता ही नहीं।। खो जाए तेरी यादों में ढुँढता है तुझको गलियों में ये दिल अब लौटता ही नही कि दिल मेरी सुनता ही नहीं।। सपने आंखों में सजाये कितने नगमे गुनगुनाये सहम कर कुछ कहता ही नहीं कि दिल मेरी सुनता ही नहीं।। कितनी सदियां यूं बीत गयी बरसों तेरी खबर न आयी ये दिल अब धड़कता ही नही कि दिल मेरी सुनता ही नहीं ।।

तुम चाय पे ना बुलाते

हवाएं घटाएं हमें ना सताते। अगर चाय पर तुम हमें ना बुलाते। तुम्हें देख नजरें चुराना, छुपाना, अदाएं, सलीके, शरारत, बहाना, हमारी अदाएं हमें ना सताते। अगर चाय पर तुम हमें ना बुलाते चुड़ी बिंदि झुमके, नयन के इशारे, सुबह-शाम, सूरत बदलते नजारे, समा खूबसूरत हमें ना सुहाते। अगर चाय पर तुम हमें ना बुलाते। मगन मन मधुर मधुर संगीत गाएं, पुलक हृदय में प्रेम लहर लहराएं, कहानी, तुम्हारी हमें ना सुनाते। अगर चाय पर तुम हमें ना बुलाते।  कभी बेवजह यूं न हम मुस्कुराते, समय को कभी हम न ऐसे चुराते। अगर बात दिल की हमें ना बताते, अगर चाय पर तुम हमें ना बुलाते।                                                    # देवी