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ज़िन्दगी एक खेल है!

किस्मत पासे फैंकती, समय चले चाल अपनी मर्ज़ी मन करे, बुद्धि बने है ढाल।। अनुभवों से ज्ञान मिला, विचार का जंजाल  उत्सुक और विवेक का , खेल है बेमिसाल।। ज्ञानी हो या अज्ञानी, अमीर या कंगाल  सबके सब है खेलते, दिन महीने व साल।। उम्र सारी बीत गई, न छूटा मोहजाल  समझ-समझ के न समझे, मृत्युलोक का जाल।। मौसम अहसासों भरा, चाह का भक्तिकाल  पहेली है दिन-रात की, बीता जीवनकाल।।