कर्म ही सत्य है!

कर्म ही सत्य है!

सच्चाई की धारा
निर्मल है स्वच्छ है 
कोमल है सुगंधित है,
जो निरंतर प्रवाहित है।
सत्य तो आनन्दित है।।
कर्म ही धर्म कर्म जीवन है,
लक्ष्य तो मील का पत्थर है। 
मन का हो या नियति का
जन्म-मृत्यु का सफर है।
ब्रह्माण्ड का सत्य भी
कर्म से ही प्रभावित है,
सत्य तो आनन्दित है।।


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