सपने
ख्वाब मेरे आसमां तक यूं घुमाते हैं मुझे।
बादलों में बीजुरी जैसे छुपाते हैं मुझे।
आसमां से आ गिरे फिर सीढ़ियां पकड़े हुए,
एक तारे की कहानी फिर सुनाते हैं मुझे।
रंग बागों से समेटे आ खड़े हैं द्वार पर,
जिन्दगी के रंग बनकर फिर लुभाते हैं मुझे।
हार में भी दीप जैसे जगमगाते हौंसले,
नित्य स्वप्न सुधा बनकर सदा जगाते हैं मुझे।
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