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ताकत जब हाथ बदलती है!

जब ताकत हाथ मिलाती है। जीवन को रोशन करती है। पर इसकी कीमत होती है। ताज और गद्दी देकर, मासूमियत छीनती है। तुमसे जुड़ी हर चीज को, सही व गलत में तोलती है। इन्द्रधनुसीय रंगों से, तुम्हारे लिए छाँटती है । श्वेत और काला रंग को, जीवन में उतार देती है। सिर पर चढ़ कर दाता बन, राज-पाट का वहम भरती है। ताकत का नसा... एक कूरूर बादशाह पैदा करती है। ताकत पे यूँ गुरूर न करो, ये सलतनत, ये बादशाही, सब हवा कर देती है। जब ताकत.... अपना हाथ बदलती है।

प्रेम नगर अति साँकरी!

प्रेम नगर अति साँकरी, कौन चित्त समझाय जा बैठा चौराह पर, मुझको भी भरमाय।। सावन साजन बिन हिया,जैसे नीरव डाल पिया बिना जीवन भया, कुरकुस की हो छाल।। साजन आए भोर में, बनके पंक्षी भोर मन आँगन की वेदना, साँझ भई चहुँ ओर।।  साँझ भई चहुँ ओर री,साजन बसे प्रदेश प्रेम छुड़ाए न छूटे, कौन कहें संदेश।। न लिखत न पढ़त जाय है, न भई कोई रीत किस विधि करूँ बखान री, प्रीत भई बस प्रीत।। #मीरा देवी 

सागर

धरती पर फैला हुआ, जलचर का संसार। सागर के  भीतर छिपा,  रत्नों का भंडार।। जब तृष्णा न बुझा सके, पानी चारों ओर। ये खारी नीर लहरें, तट पर करती शोर।। बूंदों से सागर बना, सागर बादल होय। धरती से दूर हो के, बूंदें बनके रोय।। दिन-रात तटों पर रहता, लहरों का अनुरोध। साहिल करती मौन से, तरंग का प्रतिरोध।। सागर उठा उमंग से,  पूनम वाली रात।   उतरा चांद लहरों में, कहने अपनी बात।। इतना विशाल हृदय है, सब करता स्वीकार। धरती के हर वस्तु पर, करता है उपकार

समय का पहिया

चित्र
मत गंवा आज को सपनों में, कल रहता आज के कर्मों में, समय का पहिया चलता रहता कहता एक ही बात निरंतर। अरे! चलते रहना जीवन भर! अच्छा-बुरा कुछ भी ना जाने, ऊॅंच नीच का भेद ना माने, तेरे जतन कुछ काम न आवे देखता रह जाएगा उम्रभर। अरे! चलते रहना जीवन भर! बरसात ऋतु से पहले किसान, युद्ध होने से पहले जवान, हार जीत का फैसला होगा हमारी आज की तैयारी पर। अरे! चलते रहना जीवन भर! पशु पक्षी के लिए सिर्फ जीवन, दिन-रात के जैसा मानव मन, कर्म से समय की सीमा तोड़ इतिहास की बोगी में बैठकर। अरे! चलते रहना जीवन भर!

तिरंगा

दिल्ली में  दहाड़े  तिरंगा,  सरहद  पर  महाकाल है। वीरों की  सौगात  तिरंगा,  इंकलाब  की  मशाल है। सनसन करते  हूंकार भरे,   जब वीरों के कदम बढ़े दुश्मन के दिल  छन्नी करते,  हिन्दुस्तान का लाल है। धर्म-जाति की राजनीति से,  जो चले देश को तोलने मात्रभूमि पर  मिटने  वाला,   देशभक्ति रंग  लाल है। सत्य-अहिंसा और प्रेम का, अजब-गजब रखवाला है प्रत्यंचा   चढ़ा  गाण्डीव है,   प्रेम-पूरक  की  थाल  है। साजन के आँखों से गहरा, शीतल माँ के आँचल से वो लाल किले पर फहराता, रंगों का इंद्रजाल है।