गुरु-महिमा

              (1)
ज्ञान का दीप जलाकर
दीप की महिमा बताकर।

इतना उजाला भर दिया
जगमगाते रहें जीवनभर।

आसमान में उड़ने लगे
गुरु ज्ञान के पंख लगाकर।

गहन अन्धकार को दूर करे
ज्ञान रूपी जुगनू बनकर।

श्रद्धा सुमन अर्पित करूं
सदा आपके शुभ चरणों पर।


          (2) 
किस्मत के धागों में
ज्ञान रूपी मोती पिरोकर,
धरती अम्बर से
जन्म-मृत्यु का बंधन तोड़कर,
गुरु ज्ञान की 
लौ रे बन्धु!
अमर कर दे 
बिन अमृत पीकर।।

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