जय हो गिरधारी


हे कृष्ण मुरारी, जय हो गिरधारी
महिमा तुम्हारी, सबसे में न्यारी।

ग्वालबाल संग गैया चरावे
मटकी फोड़ी माखन खावे,
नन्द गाँव के माखन चोर
अद्भुत लीला सबन दिखावे।
तुम्हारी लीला पे वारी दुनिया सारी
महिमा तुम्हारी, सबसे में न्यारी।

गोपीयों की गोकुल नगरी
कान्हा ने बजाये बासूरी,
यमुना तट पर रास रचाये
राधा संग की प्रेम सगाई।
मीरा बन गयी, प्रेम पूजारी।
महिमा तुम्हारी, सबसे में न्यारी।


भक्तों की तुम विनती सुनते
एक पल में सारे दुःख हरते,
दीनो सुदामा को तीनों लोक
पांडवों की सदा रक्षा करते।
सत्य के, तुम हो हितकारी।
महिमा तुम्हारी, सबसे में न्यारी।

अंधकार के भवसागर में
ज्ञान का दीप जलाते,
भट्टके अपने भक्तों को
गीता का उपदेश सुनाते।
जीवन का सार, गाथा तुम्हारी
महिमा तुम्हारी, सबसे में न्यारी।

हे कृष्ण मुरारी, जय हो गिरधारी
महिमा तुम्हारी, सबसे में न्यारी। 

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