गिद्ध

आसमान में उड़ने वाले गिद्ध
सांसों के थमने का इंतजार तो करते हैं।
ये जो जमीन पर झपट्टने वाले गिद्ध हैं ना,
इनके बारे में कुछ कहने से पहले
शब्द भी दम तोड़ देते हैं।
इनकी पकड़ लकड़बग्घे के झपट से भी मजबूत है,
शिकार के मिलते ही नोचना शुरू करते हैं।
सांसों के रहते ही,
बोटी बोटी नोचते हैं।
यह सिलसिला पंचतत्व में
विलीन होने के बाद भी जारी रखते हैं।
किसी की सांसें अब भी बच गई हो तो,
गिद्ध कहते हैं।
खुश रहो तुम जिंदा हो,
सवाल पूछने का हक तो मरे हुए को भी नहीं देते हैं।
क्योंकि…
गलती तुम दोनों की है।



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सरस्वती माँ शारदे

आलस

कर्म ही सत्य है!