सरकार आपकी बेरूखी याद रखेंगे।
सरकार आपकी बेरूखी याद रखेंगे।
हर कुर्बानी हर शहादत याद रखेंगे,
नेताओं की नेता नगरी में अन्नदाता की
हर कुर्बानी हर शहादत याद रखेंगे,
नेताओं की नेता नगरी में अन्नदाता की
पुस की वो चाँदनी रात याद रखेंगे,
सिंहासन पर बैठी सरकार सुनो
हम अन्नदाता के अँसुपात याद रखेंगे।
राजपथ झाँकियाँ और अन्नदाता की रैली
गणतंत्रदिवस इक्कीस की प्रभात याद रखेंगे।
जब रद्दी हुई दौलत मेरी
चारों पहर के वो हालात याद रखेंगे।
राम जी की गद्दी, मुद्दा तीन सौ सतर
राजनीति के तराजू से निजात याद रखेंगे।
सुनसान सड़कों पर मीलों चलते लोग
पाँव तले छालों की अधरात याद रखेंगे।
तालाबंदी, दो गज की दूरी, ढका मुखड़ा
बीस की टीस का आघात याद रखेंगे।
बेरोजगारी, महंगाई, जनता का विरोध
आत्मनिर्भरता से मन की बात याद रखेंगे।
जिस काले चश्मे से सब चंगा दिखता है
सरकार आपकी हर करामात याद रखेंगे।
सख्त नियम से कानून जो लागू हुए
सरकार जल्दबाजी की सौगात याद रखेंगे ।
आवाज बुलंद भी करेंगे और सवाल भी पूछगें
सरकार आपके ख़यालात याद रखेंगे।
हमारे हर सवाल हर विरोध पर
आपका इतिहास की खैरात याद रखेंगे
सरकार आपकी बेरूखी याद रखेंगे।
सिंहासन पर बैठी सरकार सुनो
हम अन्नदाता के अँसुपात याद रखेंगे।
राजपथ झाँकियाँ और अन्नदाता की रैली
गणतंत्रदिवस इक्कीस की प्रभात याद रखेंगे।
जब रद्दी हुई दौलत मेरी
चारों पहर के वो हालात याद रखेंगे।
राम जी की गद्दी, मुद्दा तीन सौ सतर
राजनीति के तराजू से निजात याद रखेंगे।
सुनसान सड़कों पर मीलों चलते लोग
पाँव तले छालों की अधरात याद रखेंगे।
तालाबंदी, दो गज की दूरी, ढका मुखड़ा
बीस की टीस का आघात याद रखेंगे।
बेरोजगारी, महंगाई, जनता का विरोध
आत्मनिर्भरता से मन की बात याद रखेंगे।
जिस काले चश्मे से सब चंगा दिखता है
सरकार आपकी हर करामात याद रखेंगे।
सख्त नियम से कानून जो लागू हुए
सरकार जल्दबाजी की सौगात याद रखेंगे ।
आवाज बुलंद भी करेंगे और सवाल भी पूछगें
सरकार आपके ख़यालात याद रखेंगे।
हमारे हर सवाल हर विरोध पर
आपका इतिहास की खैरात याद रखेंगे
सरकार आपकी बेरूखी याद रखेंगे।
पुस की वो चाँदनी रात याद रखेंगे,
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