चलो बापू को पढ़ते हैं
चलो बापू को पढ़ते हैं।
एक दिन नहीं, नित्य ही
सत्य-अहिंसा के विचारों पर
समूची दुनिया नत्मस्तक है
बापू के जैसे प्रेम पथ चलते हैं।
बन्धु सूत्र में विश्व को बांधे
कर्तव्य परायणता धर्म मानें
जन-जन के प्रेरणास्त्रोत हैं
अंतिम-व्यक्ति की चेतना जगाते
बापू के जैसे हम भी पहुंचते हैं।
समय की सीमा से परे
जन्म-मरण का चक्र तोड़े
इतिहास की बोगी में
बापू नर से नारायण बने
बापू के जैसे महात्मा बनते हैं।
दांडी की शांति यात्रा थमी
अच्छाई भी राह भटकी
मानवता किताबी न बन जाए
हरि कहीं मूरत में न रह जाए
चलो अहिंसा का बीज उगाते हैं।
मानवता का प्रमाण दें
भूल के सारे द्वेष
धरकर बापू का भेष
मन, क्रम, वचन से एक
बापू के जैसे सदाचारी बनते हैं।
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