मेरे पिता जी
पिता
धरती पर सूर्य का रूप हैं पिता
छाँव है तपती दोपहरी में पिता
आत्मविश्वास से भरे
नसीह़त की रोशनी लिए
मेरा नव निर्माण किया।
उँगली पकड़कर
दुनिया से साक्षात्कार किया।
लड़खड़ाये जब भी कदम
कंधों पर उठा लिया।
जीत का मंत्र देकर
संघर्ष के पथपर
मुझे पहाड़ सा मजबूत बना दिया।
मतलबी दुनिया में
आप हिम्मत का दरिया हो
परेशानियों में
दो धारी तलवार हो।
असमंजस के पलों में
मैं तेरे साथ हूँ
तू ना घबराना
यह कहकर
मुझमें आत्मविश्वास भर दिया।
हार जीत को मोल ना देकर
खुशियों का द्वार खोल दिया।
मेरे हर दर्द में
संजीवनी बूटी बनकर
मेरा दर्द मिटा दिया।
पिता का साथ
जैसे महादेव का आशीर्वाद मिला।
धरती पर सूर्य का रूप हैं पिता।
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