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सच को तो सिर्फ देखा जा सकता है

जो कहते हैं कि वो सच बोल रहे हैं वो उनका सच है, जो कह रहे हैं कि वो सच बेच रहे हैं वो अपना सच बेच रहे हैं, क्यों कि सच ना बोला जाता है ना ही महसूस किया जाता है। ''सच को तो सिर्फ देखा जा सकता है '' * सच तो सूरज की किरणें हैं  जिनके आने से धरती दुल्हन बन जाती है। * सच तो वो फूल हैं  जो हर सुबह सूर्य पर अपनी खुशबू, रंग और अपना सर्वस्त्र अर्पण कर देती है। *सच तो तिरंगे में लिपटा हुआ दीप है  जो बन गया  सितारा।

मेरे पिता जी

पिता  धरती पर सूर्य का रूप हैं पिता  छाँव है तपती दोपहरी में  पिता  आत्मविश्वास से भरे नसीह़त की रोशनी लिए  मेरा नव निर्माण किया। उँगली पकड़कर  दुनिया से साक्षात्कार किया। लड़खड़ाये जब भी कदम कंधों पर उठा लिया। जीत का मंत्र देकर संघर्ष के पथपर मुझे पहाड़ सा मजबूत  बना दिया। मतलबी दुनिया में  आप हिम्मत का दरिया हो परेशानियों में  दो धारी तलवार हो। असमंजस के पलों में  मैं तेरे साथ हूँ  तू ना घबराना  यह कहकर  मुझमें आत्मविश्वास भर दिया। हार जीत को मोल ना देकर  खुशियों का द्वार खोल दिया। मेरे हर दर्द में संजीवनी बूटी बनकर  मेरा दर्द मिटा दिया। पिता का साथ  जैसे महादेव का आशीर्वाद मिला।  धरती पर सूर्य का रूप हैं पिता।

चलो बापू को पढ़ते हैं

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चलो बापू को पढ़ते हैं। एक दिन नहीं, नित्य ही सत्य-अहिंसा के विचारों पर समूची दुनिया नत्मस्तक है बापू के जैसे प्रेम पथ चलते हैं। बन्धु सूत्र में विश्व को बांधे कर्तव्य परायणता धर्म मानें जन-जन के प्रेरणास्त्रोत हैं अंतिम-व्यक्ति की चेतना जगाते बापू के जैसे हम भी पहुंचते हैं। समय की सीमा से परे जन्म-मरण का चक्र तोड़े इतिहास की बोगी में बापू नर से नारायण बने बापू के जैसे महात्मा बनते हैं। दांडी की शांति यात्रा थमी अच्छाई भी राह भटकी मानवता किताबी न बन जाए हरि कहीं मूरत में न रह जाए चलो अहिंसा का बीज उगाते हैं। मानवता का प्रमाण दें भूल के सारे द्वेष धरकर बापू का भेष मन, क्रम, वचन से एक बापू के जैसे सदाचारी बनते हैं।

माँ

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माँ को परिभाषित कर सके  ऐसा कोई शब्द नहीं। ना स्याही है ना कलम है कोई कागज बना नहीं। तुम हर दिवस के पल पल में ईश्वर का साक्षात रूप हो। तुम सूरज हो हम सितारे मेरी सुबह की धूप हो। तुम्हीं धरती आसमान हो निर्मल गंगा की धारा। क्षमा, दया, करुणा, प्रेम का निर्मल,कोमल मन प्यारा। अबोध शिशु का ज्ञान तुमको उसके हर भाव समझती। दुआओं का काला टीका  छींक पे नजर उतारती। मैं तेरा पुजारी हूँ माँ , तुमको शत् -शत् नमन करें। तेरे मखमली आँचल की हमको शीतल छाँव मिलें।