माफी

 *माफी धरती माँ, माफी सृष्टि माँ के नियमों की अनदेखी के लिए।
  *हे प्रकृति माँ आज आप को खुद अपनी नाराजगी को जता कर इंसानों को सम्भलने का संदेश दिया। कि कुछ भी हो सकता है। नामुमकिन कुछ भी नहीं होता है।

  *माफी भारत के लोगों से, जो इस विपरीत परिस्थितियों में भुख और प्यास के कारण घर से बाहर निकालने को मजबूर हो गये और आज की दौड़ती भागती दुनिया में भी मीलों पैदल चलने को मजबूर हैं।

  *माफी नन्हे नन्हे कदमों से जो थक जाने के बाद भी चलते रहे।

  *माफी उन लोगों से जो चले तो थे घर जाने के लिए, पर आधे सफर में ही किसी और दुनिया की शहर पे चले गये और घर वालों को कभी ना खत्म होने वाला इंतजार दे गये।

   * मैं विकल्प चुन रही थी
         मगर हिचक रही थी
           क्यों कि मेरे पास
              जमा थोड़ी सुविधाएँ थी
                जो मेरी  सीमाएँ थी.....🙏

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