''मत जइयो रजो राजनीति की गर्मी में,,
अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविता / ''मनाली मत जइयो,, से प्रेरित होकर लिखी गयी है।
मत जइयो रजो
राजनीति की गर्मी में।
आवेंगें यमदूत ठिठुरती सर्दी में।
सुनो सिया,
बनवास से पहले,
मिल आना लक्ष्मी जीजी से,
फिर आवेंगे लूटेरे पंचवटी में।
धरोगी पाँव जो देहरी पे,
ले जाना सीख शूटर दादी से,
ना आवेंगे रक्षक अंधेर नगरी में।
मत जइयो रजो राजनीति की गर्मी में।
आवेंगें यमदूत ठिठुरती सर्दी में।
तुम चीखेगी, चिल्लाएगी,
पर वो मुँह ना खोलेगी,
खामोशी रहेगी शेरनी संसद में।
बुलंद जो आवाज करोगी,
देशद्रोही कहलाओगी,
जला दी जाओगी लोकतंत्र में।
मत जइयो रजो राजनीति की गर्मी में।
आवेंगें यमदूत ठिठुरती सर्दी में।
(लक्ष्मी जीजी-राजस्थान की रहने वाली)
(शूटर दादी- उत्तरप्रदेश की रहने वाली)
मत जइयो रजो
राजनीति की गर्मी में।
आवेंगें यमदूत ठिठुरती सर्दी में।
सुनो सिया,
बनवास से पहले,
मिल आना लक्ष्मी जीजी से,
फिर आवेंगे लूटेरे पंचवटी में।
धरोगी पाँव जो देहरी पे,
ले जाना सीख शूटर दादी से,
ना आवेंगे रक्षक अंधेर नगरी में।
मत जइयो रजो राजनीति की गर्मी में।
आवेंगें यमदूत ठिठुरती सर्दी में।
तुम चीखेगी, चिल्लाएगी,
पर वो मुँह ना खोलेगी,
खामोशी रहेगी शेरनी संसद में।
बुलंद जो आवाज करोगी,
देशद्रोही कहलाओगी,
जला दी जाओगी लोकतंत्र में।
मत जइयो रजो राजनीति की गर्मी में।
आवेंगें यमदूत ठिठुरती सर्दी में।
(लक्ष्मी जीजी-राजस्थान की रहने वाली)
(शूटर दादी- उत्तरप्रदेश की रहने वाली)
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