प्रीत

वंसत को ऋतू राज माना जाता हैं
इन दिनों मुख्य पाँच तत्व
(जल, वायु, आकाश, अग्नि एवम धरती )
संतुलित अवस्था में होते हैं
और इनका ऐसा व्यवहार
प्रकृति को सुंदर एवम
मन मोहक बनाता हैं
अर्थात इन दिनों पतझड़
खत्म होते ही पेड़ों पर
नयी शाखायें जन्म लेती हैं,
जो प्राकृतिक सुन्दरता को और
अधिक मनमोहक कर देती हैं।
उन नयी शाखाओं की
नन्ही कली और पत्तियों को
देखकर मन में कई
भाव उमड़ते है।
इन नन्ही कोमल पत्तियों को
छूने मात्र से मूरझाने का भय,
मन को  व्याकुल कर जाता है।
उनकी कोमलता,
उनका सौन्दर्य देखते बनता है।
    ठीक वैसे ही
जब प्रेमी आपस में मिलते है
उनके मन में भी
कई नयी और कोमल,
भाव,विचार प्रकट होते है,
यहाँ तक की उनका
व्यवहार बहुत सरल
और सहज होता है।
दोनों के बीच का संतुलन
एक दूसरे को उनकी
क्षमताओं और सीमाओं से
कहीं ऊपर उठा देता है,
दोनों एक दूसरे के
प्रति समर्पित रहते है।
एक अदभूत अनुभव में
खो जाते है।
जो जीवन को उमंग से
भर देता है
और मन के तार को छेड़ता है
समंदर की लहरों की
भांति छलक उठता है प्रेम,
    ''प्रेम को पढ़ना है
तो प्रेम में डूबना पड़ेगा
प्रेम सोच समझ कर
नहीं किया जाता है
वो तो हो जाता है
प्रेम भी सबके लिए
नहीं होता है।''
  वही प्रेम जब दूर होता है,
तो सारी भावनायें,
इच्छायें, बातें,
जिन्दगी का एक रंग और
सारी  संवेदनाएँ सीमट कर
कहीं छुप जाती है
और साथी का इन्तजार
करने लगती है।
अपने प्रेम का "
उन यादों में खोई प्रेमिका
हसंती है, रोती है,
गुनगुनाती है और उसकी
जिन्दगी मोहब्बत के
रंग में रंग जाती है।
एक अटूट विश्वास के साथ,
प्रेम का स्वरूप बन कर जीते है,
प्रेम तो आजाद होता है।
आजाद रहता है।

                          #देवी

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