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मेरा देश

       अतित में हर बात पे जाना ठीक नहीं हैं, तब हम नहीं थे. अब हम हो, तो आज को बेहतर बनाओ और आने वाले कल के लिए हम मिसाल कायम करें। कल क्या हुआ क्यों हुआ? छोड़ो! आज क्या कर सकते हैं और कल के लिए क्या बेहतर फैसले ले सकते हैं। @आज बात देश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की होनी चाहिये।  हिन्दूस्तान तो बना ही है जनजन के सहयोग से, समर्पण से। जब सब धर्म,जाति, वर्ग को भुलकर सिर्फ देश के लिए और आने वाली पीढ़ी के लिए उठ खड़े हुए थे, तो दो सौ साल पुरानी सत्ता को उखाड़ फैंका था। आज भी हम मिलकर सबसे पहले देश के बारे में सोचना चाहिए। देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी, हिस्सेदारी के प्रति जागरूक होना होगा और जनजन को जागरूक करने की कसम खा सकते हैं। हम दिनभर में एक बार अपने आने वाली पीढ़ी के प्रति जिम्मेदारी निभाने की सौगंध खा सकते हैं बिना स्वार्थ के अपनी हिस्सेदारी जरूर दें।।

बहस

किसी भी विवाद के बहस में पड़ने  से सबसे पहले खुद बचना चाहिए । मुद्दों पर बात करना अच्छी बात है पर उससे बहस ना बनने दें, अगर बहस हो गयी तो उसे वहीं खत्म कर, किसी और विषय पर बात शुरू...

दोस्ती

''दोस्ती तुम मेरी जिंदगी सी हो जिन्दगी में इन्द्रधनुष सी हो थोड़ी खट्टी थोड़ी मीठी सी हो जरा सच्ची तो जरा झुठी सी हो तुम से मिलें, तो जाना जिन्दगी को तुम मेरी मोहब्बत पहली सी हो''            ⚘

चुनाव

सुने हो! गाँव में आयो ''चौंकीदार"। बोलके  म्हारी बोली कह गयो मन की बात । ना देखे खाली गाँव ना पूछो किसी को हाल। शब्दों के चलाके बाण दिल जीत गयो ''सुबेदार"                    (पी एम ज...

तुम चाय पे ना बुलाते

हवाएं घटाएं हमें ना सताते। अगर चाय पर तुम हमें ना बुलाते। तुम्हें देख नजरें चुराना, छुपाना, अदाएं, सलीके, शरारत, बहाना, हमारी अदाएं हमें ना सताते। अगर चाय पर तुम हमें ना बुलाते चुड़ी बिंदि झुमके, नयन के इशारे, सुबह-शाम, सूरत बदलते नजारे, समा खूबसूरत हमें ना सुहाते। अगर चाय पर तुम हमें ना बुलाते। मगन मन मधुर मधुर संगीत गाएं, पुलक हृदय में प्रेम लहर लहराएं, कहानी, तुम्हारी हमें ना सुनाते। अगर चाय पर तुम हमें ना बुलाते।  कभी बेवजह यूं न हम मुस्कुराते, समय को कभी हम न ऐसे चुराते। अगर बात दिल की हमें ना बताते, अगर चाय पर तुम हमें ना बुलाते।                                                    # देवी

बदरिया

ओ मेघा काहे तू रूठे सूरज क्यों आँख दिखावे धरती को काहे सतावे बरखा  काहे खेले  आँख-मिचोली यूँ गरज-गरज के चमक-चमक के तू काहे इतना चिढ़ावे प्यासा चातक तुझे बुलावे कोयलिया  भी गीत सुनावे पपीहा भी खुब रिझावे अब तो बरसो रे बदरिया काहे दिखावे तू नखरिया नैना म्हारे तरसो अब तो मेघा बरसो   ।।                                  # देवी

हमारी राजनीति

   अंग्रेज आये हिन्दू-मुसलमान को आपस में लड़ाकर सालों तक राज किया, आजादी के समय भी आपस में लड़ाकर देश का विभाजन कर दियाऔर जाते-जाते हिन्दू-मुसलमान की राजनीति सिखा गये।जो आज तक ...

मेरे अल्फ़ाज़

  मैं मीरा देवी (देवी)        कठिन होता है खुद को पहचानना खुद की तलाश करना,खुद से मिलना, खुद से लड़ना,        जीवन की महानता खुद अपना मालिक बनने में है।        सबसे कठिन है अपने आप क...

होली

लाल ना हरा रंग मोहे भाये प्रेम रंग मोहे रंग दे तु अपने ही रंग में साँवरिया, धोबिया धोये चाहे सारी उमरिया तू रंग जा!हाँ तू रंग जा पिया मोरि कोरी कोरी चुनरिया, कोरे-कोरे कलश में ...

प्रीत

वंसत को ऋतू राज माना जाता हैं इन दिनों मुख्य पाँच तत्व (जल, वायु, आकाश, अग्नि एवम धरती ) संतुलित अवस्था में होते हैं और इनका ऐसा व्यवहार प्रकृति को सुंदर एवम मन मोहक बनाता हैं अ...

परिस्थिति

सच-झूठ की दौड़ लगी है, भूतकाल और वर्तमान में खेल परियोगिता चली है, तराजू अपना संतुलन खो बैठा है, उपदेशों का बाजार सजा है, मायूसी फिर सरक कर गले लग रही है, विचारों में महायुद्ध  ...

अहसास

चलते चलते बहुत दूर आ गये तु मंजिल, हम राही बन गये, तेरे संग बिताये हर लम्हें मेरे गीत बन गये, तुम ख्वाब बनकर, मेरी जिंदगी बन गये,                             तुने जब भी मुड़कर देख...

बदलती राजनीति

''बदलते राजनीति से मेरी कलम भी मज़बूर हुईं।।   ना  चाहते हुए भी मेरे विचारों में शामिल हुई''।।   राजनीति बदल रही है..   हर आँख में मटक रही है..   सपने सिंहासन के दिखा रही है।   सच झुठ ...

कुंभ दर्शन

कुंभ कुंभ ये है. कुंभ कुंभ कुंभ. कुंभ कुंभ कुंभ. कुंभ कुंभ कुंभ . कुंम्म्मभ। संगम तट पर प्रयागराज में, ये है कुंभ कुंभ कुंभ. कुंभ कुंभ कुंभ. कुंभ कुंभ कुंभ. कुंम्म्मभ। श्रिवेणी ...

कुंभ

त्रिवेणी, माधव, आलोक, शंकरी, श्री पढ़े हनुमान जी। मैं नागवस की नवग्रह मंदिर, प्रिय भूमि श्री राम की । मैं भजन हुंँ मंदिरों की, भक्तों की पूकार हुँँ। श्रिवेणी के तट पर शोभित, मै...

पगडन्डी

माँ मुझे पगडन्डी पे चलना सिखला दो, मुझे जीवन का मतलब बतला दो, कहती हो मेरे जिगर का टुकड़ा हो पापा की लाडली हो फिर पराये धन का मतलब समझा दो, माँ मुझे पगडन्डी पे चलना सिखला दो, एक नह़ि दो घरों की रोशनी हूँ कहती हो इस जहाँ कि रचियता हो फिर च़िराग का मतलब समझा दो, माँ मुझे पगडन्डी पे चलना सिखला दो, बेटी,बहना,बहु,दादी,नानी,माँ जाने कितने नाम ह़ै माँ बस मुझे मेरे नाम से अवगत् करा दो, माँ मुझे पगडन्डी पे चलना सिखला दो, पंखों से नही हौसलोँ से उड़ती हूँ, एक पल में दुनिया जीत लेने का जज्ब़ा रखती हूँ, हा माँ मुझे फिर घुघ़ट का अर्थ समझा दो, माँ मुझे पगडन्डी पे चलना सिखला दो , गिरने से पहले सम्भंला सिखा दो, मुझे मुझ से मुखाँतिब करा दो, मेरी खुद से जान पहचान करा दो, माँ मुझे पगडन्डी पे चलना सिखला दो , मुझे जीवन का मतलब बतला दो , माँ मुझे पगडन्डी पे चलना सिखला दो ,                                                #देवी